सपने में आती है माँ
कब्र के आगोश में जब थककर सो जाती है
माँ,
तब कहीं जाकर थोड़ा सुकून पाती है माँ,
फिक्र में बच्चों के कुछ ऐसे घुल जाती
है माँ,
नौजबान होते हुए भी बूढी नजर आती है
माँ,
रुह के रिश्तो की गहराईयाँ तो देखो,
चोट लगती है हमें और चिल्लाती है माँ,
कब जरुरत हो मेरी बच्चों को ऐसा सोचकर,
जगती रहती हैं आँखें और सो जाती है माँ,
घर से जब बच्चा परदेश जाता है तो दौडकर
दर पे आ जाती है माँ,
जब परदेश में घेर लेती हैं हमें परेशानियाँ,
तो आँसुओं को पूंछने सपने में आ जाती
है माँ,
मुसीबत जब सर पर आए तो याद आती है माँ,
लौटकर सफर से जब कभी आते हैं हम,
डालकर बाहें गले में सिर को सहलाती है
माँ,
हो नहीं सकता एहसान कभी उसका अदा,
मरते-मरते भी दुआ जीने की दे जाती है माँ,
मरते दम तक बच्चा अगर आए ना परदेश से,
अपनी दोनो पुतलियां चौखट पर रख जाती
है माँ,
प्यार कहते हैं किसे और ममता क्या चीज़
है,
यह तो उन बच्चों से पूछिये जिनकी नहीं
होती है माँ |
…………… अनुभवी यादव कक्षा 9